Not known Factual Statements About भाग्य Vs कर्म
कई बार पॉजिटिव थिंकिंग के पॉजिटिव रिजल्ट देखने के बाद भी हम अपनी निगेटिव थिंकिंग को दोष न देकर कहते हैं ….
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भाग्य का खेल तो इंसान के जन्म से ही शुरू हो जाता है…कोई अमीर घर में तो कोई गरीब घर में पैदा होता है…ये भाग्य ही तो है…कर्म तो जन्म के बाद शुरू होता है!
Bhikhari ko bhi mangna padata hai tabhi use kuch mil pata hai matalab is duniya me kuch bhi aise hi nahi milta… kuch na kuch karm karana padata hai.
लक भी उन्ही में से एक है, पर अगर कोई चीज समझाई नहीं जा सकती तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो है ही नहीं.
उपरोक्त उदाहरणों की रोशनी में यदि श्रीमद्भगवद्गीता के मशहूर श्लोक -कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोअस्त्वकर्मणि (तुम्हें कर्म (कर्तव्य) का अधिकार है, किन्तु कर्म-फल पर तुम्हारा अधिकारी नहीं है। तुम न तो कभी स्वयं को अपने कर्मों के फलों का कारण मानो और न ही कर्म करने या न करने में कभी आसक्त होओ) को देखा जाए तो तस्वीर बहुत कुछ साफ हो जाती है। इस श्लोक को लेकर लोग अक्सर सवाल उठाते हैं कि यदि कर्म-फल पर मनुष्य का अधिकार नहीं होगा तो वह कर्म करेगा ही क्यों?
ध्यान भी एक कर्म है, कुछ भाग्य Vs कर्म देखना, सुनना, बोलना, सोचना, ये सब क्रियाएं कर्म ही तो हैं। हम क्या देखते हैं और फिर वह देख के क्या सोचते हैं, यह कर्म ही तो हैं।
Karm pradhan vishv kr rakh,jo js kr hi so ts fl chakha.…..arthat vishv m krm Hello pradhan h…jo jaisa karm krta h vaisa Hello fl milta h. krm se hi bhagya k nirman hota h.n ki bhagya se krm ka..
जरा गौर करियेगा की हम कहाँ – कहाँ भाग्य को दोष देते हैं पर हमारा वो भाग्य किसी कर्म का परिणाम होता है
पर माता – पिता के दवाब में , या दोस्तों के कहने पर बच्चा गणित ले लेता है
मैं थोड़ा सोच में पड़ गया, पर फिर हिम्मत कर के बोला मैं लोगों की उनके अच्छे वक्त में मदद करना चाहता हूं।
अरे पॉजिटिव , निगेटिव थिंकिंग नहीं ये तो भाग्य है
आज हमारी डिबेट का टॉपिक इन्ही विरोधाभाषी विचारों को लेकर है. हमारा टॉपिक है-
श्रीकृष्ण ने भी कहा और गीता में भी यही लिखा है की तुम अपना कर्म करते जाओ और उसका फल मुझ पर छोड़ दो!